प्रेरणा स्त्रोत्र

धर्मानुरागी बंधुओ । 

हमारा धर्म सत्य अहिंसा  पर आधारित है , सत्य हमारे पञ्च परमेष्ठी है , जिनका हमें  अनुयायी बनाना  है । अहिंसा  उसे पाने का साधन  है , मार्ग है । जब तक हमारे मन में हिंसा और हिंसा से बानी वस्तुओं के लिए घृणा भाव नहीं होगा । हम अहिंसा के मार्ग को अपनाकर पंचपरमेष्ठी के अनुयायी कैसे बनेंगे?

इसलिए हमें याद रखना है कि "परस्परोपग्रहो जीवानाम " प्रत्येक जीव एक - दूसरे जीव का उपकार करे ।  यह तभी संभव है , जब हम में दूसरे जीव  के लिए करुणा भाव हो। "अहिंसा परमो धर्म :" अर्थात  अहिंसा को परम (सबसे बड़ा ) धर्म कहा गया है। इस संसार में सभी जीव  जीना है, मरना कोई नहीं चाहता । फिर हम किसी भी जीव को उसकी इच्छा के विरुद्ध कैसे मार सकते है। 

इन मूक प्राणियों की जीने इच्छा को देखते हुए उनके संरक्षण हेतु "संत  शिरोमणि आचार्य गुरुवार श्री विद्यासागर महाराज जी के परम प्रभावक शिष्य समता शिरोमणी १०८ श्री नियमसागर जी महाराज जी, १०८ श्री वृषभ सागरजी महाराजजी एवं १०८ सुपार्श्व सागरजी महाराजजी के सानिध्य में पूना (निगड़ी) में हुए २०१२ के चातुर्मास में संपूर्ण जैन समाज  को एकत्र करने एवं उनकी प्रेरणा से गौ रक्षा का संकल्प लिया । 

इस संकल्प के अन्तर्गत जीवदया गुल्लक योजना का प्रारम्भ किय। इस योजना में अहिंसा में विश्वास करने वाले लोगो ने जीवदया के लिए इस गुल्लक योजना में अपना सहयोग दिया है , और  आशा है की देते रहेंगे ।  वर्ष २०१२  में इस योजना में लगभग ८,५०,००० /- रुपये जमा हुए थे । जिनका उपयोग विभिन्न गौ शालाओं में टिन शेड डालकर की गई थी । 

वर्ष २०१२ से लगातार अब तक प्रतिवर्ष इस जीवदया गुल्लक योजना में नियमित जुड़े हुए सदस्यो का सहयोग मिल रहा है , मिलता रहेगा । लेकिन इस गुल्लक योजना  को  शिखर तक पहुँचाने के लिए हमें रोजाना जीवदया के लिए ५,१०,११,१५ प्रति दिन निकालकर प्रतिवर्ष क्रमशः १८५०/- ३६५०/- ४०१५/- ५४७५/- रुपये की राशी जमाकर इस योजना में सहभागी बनकर महावीर के "जिओ और जीने दो " के सिद्धांत को सार्थक कर सकते है । इस प्रकार प्रतिवर्ष ५१ सदस्य भी नए जुड़ते है , तो यह राशी  क्रमशः ९३०७५/- १८६१५०/- २०४७६५/- २७९२२५/- जमा होने पर एक व्यक्ति एक गाय को गोद ले सकता है ; वह भी प्रतिदिन मात्र ५/- १०/- ११/- १५/- का सहयोग करके । 

जीवदया गुल्लक योजना के अन्तर्गत नये सदस्यो को प्रतिवर्ष एक एक गुल्लक में कुछ ना कुछ पैसे डालकर अपने परिवार में दान के संस्कारो का बीजारोपण करते हुए "दान " की महिमा एवं अहिंसा के पथ का मार्गदर्शन दे सकेंगे । ताकि  आने वाली नई पीढ़ी अहिंसा, धर्म, दयाधर्म व जैनधर्म को जिवंत रख सके । 

प्रतिवर्ष यह राशी  हमारे अनादिनिधन  पर्व पर्युषण पर्व एवं वर्तमान शासन नायक के जन्म  अर्थात महावीर जयंती के दिन इकट्ठी की जाती है । जिस  प्रकार बून्द बून्द के मिलने से विशाल सागर बन सकता है , उसी प्रकार आपके द्वारा दिए गए छोटे छोटे सहयोग से ही एक समृद्ध एवं विशाल जीवदया गुल्लक योजना अपने शिखर पर पहुँच सकती है । जिससे हम पुणे एवं पुणे के आस पास में भी अपनी स्वयं की गौ शाला की नींव रख सकते है। इसलिए आपका योगदान महत्वपूर्ण है । 

प्रत्येक दान राशी  के लिए आपको दान राशी दी जाएगी । 

इस निधि का उपयोग हम निम्न लिखित कार्यो के लिए उपयोग करते है ; करते रहेंगे । 

  • कत्तलखानो में जा रहे मूक पशुओं को बचाने में । 
  • बूढ़ी गायों  को गौशाला में सुरक्षित पहुँचाने के लिए परिवहन खर्च । 
  • जरुरत मंद गौशालाओ  को चारा, घास, खाद्य व औषधि के लिए मदद करने में । 
  • वर्तमान में चल रही गौशाला के विस्तारीकरण व आधुनिकीकरण करने में । 
  • स्वयं की एक गौशाला निर्माण करने के संकल्प की और आगे बढ़ने मे। 

जीवदया हमारे लिए एक कर्तव्य है-

  • पशुहत्या पर प्रतिबन्ध लगाना हमारा कर्तव्य । 
  • गाय एक चेतन है, धन अचेतन। अचेतन धन के लिए चेतन धन की रक्षा हमारा कर्तव्य । 
  • मांस निर्यात रोकने हेतु हस्ताक्षर की नहीं हस्तक्षेप करना , हमारा कर्तव्य । 
  • "जिओ और जीने दो "के सिद्धांत की रक्षा हमारा कर्तव्य । 
  • पर्यावरण असन्तुलन रोकना हमारा कर्तव्य । 
  • पशुओं का अकाल मृत्यु रोकना हमारा कर्तव्य । 

जागो ! मानव जागो !

हम जागेंगे तो देश जागेगा । 

जय जिनेंद्र !